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وَلَوْ نَشَاۤءُ لَاَرَيْنٰكَهُمْ فَلَعَرَفْتَهُمْ بِسِيْمٰهُمْ ۗوَلَتَعْرِفَنَّهُمْ فِيْ لَحْنِ الْقَوْلِۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ اَعْمَالَكُمْ   ( محمد: ٣٠ )

And if
وَلَوْ
और अगर
We willed
نَشَآءُ
हम चाहें
surely We could show them to you
لَأَرَيْنَٰكَهُمْ
अलबत्ता दिखा दें हम आपको उन्हें
and you would know them
فَلَعَرَفْتَهُم
फिर अलबत्ता पहचान लें आप उन्हें
by their marks;
بِسِيمَٰهُمْۚ
उनके चेहरों से
but surely you will know them
وَلَتَعْرِفَنَّهُمْ
और अलबत्ता आप ज़रूर पहचान लेंगे उन्हें
by
فِى
अंदाज़/असलूब से
(the) tone
لَحْنِ
अंदाज़/असलूब से
(of their) speech
ٱلْقَوْلِۚ
गुफ़्तगू के
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
knows
يَعْلَمُ
वो जानता है
your deeds
أَعْمَٰلَكُمْ
आमाल तुम्हारे

Walaw nashao laaraynakahum fala'araftahum biseemahum walata'rifannahum fee lahni alqawli waAllahu ya'lamu a'malakum (Muḥammad 47:30)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि हम चाहें तो उन्हें तुम्हें दिखा दें, फिर तुम उन्हें उनके लक्षणों से पहचान लो; किन्तु तुम उन्हें उनकी बातचीत के ढब से अवश्य पहचान लोगे। अल्लाह तो तुम्हारे कर्मों को जानता ही है

English Sahih:

And if We willed, We could show them to you, and you would know them by their mark; but you will surely know them by the tone of [their] speech. And Allah knows your deeds. ([47] Muhammad : 30)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो हम चाहते तो हम तुम्हें इन लोगों को दिखा देते तो तुम उनकी पेशानी ही से उनको पहचान लेते अगर तुम उन्हें उनके अन्दाज़े गुफ्तगू ही से ज़रूर पहचान लोगे और ख़ुदा तो तुम्हारे आमाल से वाक़िफ है