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اَمْ حَسِبَ الَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ اَنْ لَّنْ يُّخْرِجَ اللّٰهُ اَضْغَانَهُمْ   ( محمد: ٢٩ )

Or do
أَمْ
या
think
حَسِبَ
समझा है
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने
in
فِى
जिनके दिलों में
their hearts
قُلُوبِهِم
जिनके दिलों में
(is) a disease
مَّرَضٌ
बीमारी है
that
أَن
कि
never
لَّن
हरगिज़ नहीं
will Allah bring forth
يُخْرِجَ
निकालेगा
will Allah bring forth
ٱللَّهُ
अल्लाह
their hatred?
أَضْغَٰنَهُمْ
कीने उनके

Am hasiba allatheena fee quloobihim maradun an lan yukhrija Allahu adghanahum (Muḥammad 47:29)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

(क्या अल्लाह से कोई चीज़ छिपी है) या जिन लोगों के दिलों में रोग है वे समझ बैठे है कि अल्लाह उनके द्वेषों को कदापि प्रकट न करेगा?

English Sahih:

Or do those in whose hearts is disease think that Allah would never expose their [feelings of] hatred? ([47] Muhammad : 29)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क्या वह लोग जिनके दिलों में (नेफ़ाक़ का) मर्ज़ है ये ख्याल करते हैं कि ख़ुदा दिल के कीनों को भी न ज़ाहिर करेगा