ذٰلِكَ بِاَنَّهُمُ اتَّبَعُوْا مَآ اَسْخَطَ اللّٰهَ وَكَرِهُوْا رِضْوَانَهٗ فَاَحْبَطَ اَعْمَالَهُمْ ࣖ ( محمد: ٢٨ )
That
ذَٰلِكَ
ये
(is) because they
بِأَنَّهُمُ
बवजह उसके कि वो
followed
ٱتَّبَعُوا۟
उन्होंने पैरवी की
what
مَآ
उसकी जिसने
angered
أَسْخَطَ
ग़ुस्सा दिलाया
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
and hated
وَكَرِهُوا۟
और उन्होंने नापसंद किया
His pleasure
رِضْوَٰنَهُۥ
उसकी रज़ा को
so He made worthless
فَأَحْبَطَ
तो उसने ज़ाया कर दिए
their deeds
أَعْمَٰلَهُمْ
आमाल उनके
Thalika biannahumu ittaba'oo ma askhata Allaha wakarihoo ridwanahu faahbata a'malahum (Muḥammad 47:28)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यह इसलिए कि उन्होंने उस चीज़ का अनुसरण किया जो अल्लाह को अप्रसन्न करनेवाली थी और उन्होंने उसकी ख़ुशी को नापसन्द किया तो उसने उनके कर्मों को अकारथ कर दिया
English Sahih:
That is because they followed what angered Allah and disliked [what earns] His pleasure, so He rendered worthless their deeds. ([47] Muhammad : 28)