اَمْ يَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ۗ قُلْ اِنِ افْتَرَيْتُهٗ فَلَا تَمْلِكُوْنَ لِيْ مِنَ اللّٰهِ شَيْـًٔا ۗهُوَ اَعْلَمُ بِمَا تُفِيْضُوْنَ فِيْهِۗ كَفٰى بِهٖ شَهِيْدًا ۢ بَيْنِيْ وَبَيْنَكُمْ ۗ وَهُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ ( الأحقاف: ٨ )
Am yaqooloona iftarahu qul ini iftaraytuhu fala tamlikoona lee mina Allahi shayan huwa a'lamu bima tufeedoona feehi kafa bihi shaheedan baynee wabaynakum wahuwa alghafooru alrraheemu (al-ʾAḥq̈āf 46:8)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
(क्या ईमान लाने से उन्हें कोई चीज़ रोक रही है) या वे कहते है, 'उसने इसे स्वयं ही घड़ लिया है?' कहो, 'यदि मैंने इसे स्वयं घड़ा है तो अल्लाह के विरुद्ध मेरे लिए तुम कुछ भी अधिकार नहीं रखते। जिसके विषय में तुम बातें बनाने में लगे हो, वह उसे भली-भाँति जानता है। और वह मेरे और तुम्हारे बीच गवाह की हैसियत से काफ़ी है। और वही बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है।'
English Sahih:
Or do they say, "He has invented it"? Say, "If I have invented it, you will not possess for me [the power of protection] from Allah at all. He is most knowing of that in which you are involved. Sufficient is He as Witness between me and you, and He is the Forgiving, the Merciful." ([46] Al-Ahqaf : 8)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
क्या ये कहते हैं कि इसने इसको ख़ुद गढ़ लिया है तो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर मैं इसको (अपने जी से) गढ़ लेता तो तुम ख़ुदा के सामने मेरे कुछ भी काम न आओगे जो जो बातें तुम लोग उसके बारे में करते रहते हो वह ख़ूब जानता है मेरे और तुम्हारे दरमियान वही गवाही को काफ़ी है और वही बड़ा बख्शने वाला है मेहरबान है