وَمَنْ اَضَلُّ مِمَّنْ يَّدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَنْ لَّا يَسْتَجِيْبُ لَهٗٓ اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ وَهُمْ عَنْ دُعَاۤىِٕهِمْ غٰفِلُوْنَ ( الأحقاف: ٥ )
And who
وَمَنْ
और कौन
(is) more astray
أَضَلُّ
ज़्यादा गुमराह है
than (he) who
مِمَّن
उससे जो
calls
يَدْعُوا۟
पुकारता है
besides
مِن
सिवाए
besides
دُونِ
सिवाए
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के
who
مَن
उन्हें जो
will not respond
لَّا
नहीं वो जवाब दे सकते
will not respond
يَسْتَجِيبُ
नहीं वो जवाब दे सकते
to him
لَهُۥٓ
उसे
until
إِلَىٰ
क़यामत के दिन तक
(the) Day
يَوْمِ
क़यामत के दिन तक
(of) Resurrection
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के दिन तक
and they
وَهُمْ
और वो
of
عَن
उनकी पुकार से
their calls
دُعَآئِهِمْ
उनकी पुकार से
(are) unaware
غَٰفِلُونَ
गाफ़िल हैं
Waman adallu mimman yad'oo min dooni Allahi man la yastajeebu lahu ila yawmi alqiyamati wahum 'an du'aihim ghafiloona (al-ʾAḥq̈āf 46:5)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
आख़़िर उस व्यक्ति से बढ़कर पथभ्रष्ट और कौन होगा, जो अल्लाह से हटकर उन्हें पुकारता हो जो क़ियामत के दिन तक उसकी पुकार को स्वीकार नहीं कर सकते, बल्कि वे तो उनकी पुकार से भी बेख़बर है;
English Sahih:
And who is more astray than he who invokes besides Allah those who will not respond to him until the Day of Resurrection [i.e., never], and they, of their invocation, are unaware. ([46] Al-Ahqaf : 5)