مَا خَلَقْنَا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَآ اِلَّا بِالْحَقِّ وَاَجَلٍ مُّسَمًّىۗ وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا عَمَّآ اُنْذِرُوْا مُعْرِضُوْنَ ( الأحقاف: ٣ )
Not
مَا
नहीं
We created
خَلَقْنَا
पैदा किया हमने
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
and the earth
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
and what
وَمَا
और जो कुछ
(is) between both of them
بَيْنَهُمَآ
दर्मियान है इन दोनों के
except
إِلَّا
मगर
in truth
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
and (for) a term
وَأَجَلٍ
और वक़्त
appointed
مُّسَمًّىۚ
मुक़र्रर के
But those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
from what
عَمَّآ
उस चीज़ से जो
they are warned
أُنذِرُوا۟
वो डराए गए
(are) turning away
مُعْرِضُونَ
ऐराज़ करने वाले हैं
Ma khalaqna alssamawati waalarda wama baynahuma illa bialhaqqi waajalin musamman waallatheena kafaroo 'amma onthiroo mu'ridoona (al-ʾAḥq̈āf 46:3)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उन दोनों के मध्य है उसे केवल हक़ के साथ और एक नियत अवधि तक के लिए पैदा किया है। किन्तु जिन लोगों ने इनकार किया है, वे उस चीज़ को ध्यान में नहीं लाते जिससे उन्हें सावधान किया गया है
English Sahih:
We did not create the heavens and earth and what is between them except in truth and [for] a specified term. But those who disbelieve, from that of which they are warned, are turning away. ([46] Al-Ahqaf : 3)