Skip to main content

सूरह अल-अह्काफ़ आयत २८

فَلَوْلَا نَصَرَهُمُ الَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ قُرْبَانًا اٰلِهَةً ۗبَلْ ضَلُّوْا عَنْهُمْۚ وَذٰلِكَ اِفْكُهُمْ وَمَا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ   ( الأحقاف: ٢٨ )

Then why (did) not
فَلَوْلَا
तो क्यों ना
help them
نَصَرَهُمُ
मदद की उनकी
those whom
ٱلَّذِينَ
उन्होंने जिनको
they had taken
ٱتَّخَذُوا۟
उन्होंने बनाया
besides
مِن
सिवाए
besides
دُونِ
सिवाए
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के
gods as a way of approach?
قُرْبَانًا
तक़र्रूब के लिए
gods as a way of approach?
ءَالِهَةًۢۖ
कुछ इलाह
Nay
بَلْ
बल्कि
they were lost
ضَلُّوا۟
वो गुम हो गए
from them
عَنْهُمْۚ
उनसे
And that
وَذَٰلِكَ
और ये
(was) their falsehood
إِفْكُهُمْ
झूठ था उनका
and what
وَمَا
और जो
they were
كَانُوا۟
थे वो
inventing
يَفْتَرُونَ
वो गढ़ा करते

Falawla nasarahumu allatheena ittakhathoo min dooni Allahi qurbanan alihatan bal dalloo 'anhum wathalika ifkuhum wama kanoo yaftaroona (al-ʾAḥq̈āf 46:28)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर क्यों न उन बस्तियों ने उसकी सहायता की जिनको उन्होंने अपने और अल्लाह का बीच माध्यम ठहराकर सामीप्य प्राप्त करने के लिए उपास्य बना लिया था? बल्कि वे उनसे गुम हो गए, और यह था उनका मिथ्यारोपण और वह कुछ जो वे घड़ते थे

English Sahih:

Then why did those they took besides Allah as deities by which to approach [Him] not aid them? But they had strayed [i.e., departed] from them. And that was their falsehood and what they were inventing. ([46] Al-Ahqaf : 28)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो ख़ुदा के सिवा जिन को उन लोगों ने तक़र्रुब (ख़ुदा) के लिए माबूद बना रखा था उन्होंने (अज़ाब के वक्त) उनकी क्यों न मदद की बल्कि वह तो उनसे ग़ायब हो गये और उनके झूठ और उनकी (इफ़तेरा) परदाज़ियों की ये हक़ीक़त थी