وَيَوْمَ يُعْرَضُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا عَلَى النَّارِۗ اَذْهَبْتُمْ طَيِّبٰتِكُمْ فِيْ حَيَاتِكُمُ الدُّنْيَا وَاسْتَمْتَعْتُمْ بِهَاۚ فَالْيَوْمَ تُجْزَوْنَ عَذَابَ الْهُوْنِ بِمَا كُنْتُمْ تَسْتَكْبِرُوْنَ فِى الْاَرْضِ بِغَيْرِ الْحَقِّ وَبِمَا كُنْتُمْ تَفْسُقُوْنَ ࣖ ( الأحقاف: ٢٠ )
Wayawma yu'radu allatheena kafaroo 'ala alnnari athhabtum tayyibatikum fee hayatikumu alddunya waistamta'tum biha faalyawma tujzawna 'athaba alhooni bima kuntum tastakbiroona fee alardi bighayri alhaqqi wabima kuntum tafsuqoona (al-ʾAḥq̈āf 46:20)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और याद करो जिस दिन वे लोग जिन्होंने इनकार किया, आग के सामने पेश किए जाएँगे। (कहा जाएगा), 'तुम अपने सांसारिक जीवन में अच्छी रुचिकर चीज़े नष्ट कर बैठे और उनका मज़ा ले चुके। अतः आज तुम्हे अपमानजनक यातना दी जाएगी, क्योंकि तुम धरती में बिना किसी हक़ के घमंड करते रहे और इसलिए कि तुम आज्ञा का उल्लंघन करते रहे।'
English Sahih:
And the Day those who disbelieved are exposed to the Fire [it will be said], "You exhausted your pleasures during your worldly life and enjoyed them, so this Day you will be awarded the punishment of [extreme] humiliation because you were arrogant upon the earth without right and because you were defiantly disobedient." ([46] Al-Ahqaf : 20)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जिस दिन कुफ्फार जहन्नुम के सामने लाएँ जाएँगे (तो उनसे कहा जाएगा कि) तुमने अपनी दुनिया की ज़िन्दगी में अपने मज़े उड़ा चुके और उसमें ख़ूब चैन कर चुके तो आज तुम पर ज़िल्लत का अज़ाब किया जाएगा इसलिए कि तुम अपनी ज़मीन में अकड़ा करते थे और इसलिए कि तुम बदकारियां करते थे