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सूरह अल-अह्काफ़ आयत २०

وَيَوْمَ يُعْرَضُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا عَلَى النَّارِۗ اَذْهَبْتُمْ طَيِّبٰتِكُمْ فِيْ حَيَاتِكُمُ الدُّنْيَا وَاسْتَمْتَعْتُمْ بِهَاۚ فَالْيَوْمَ تُجْزَوْنَ عَذَابَ الْهُوْنِ بِمَا كُنْتُمْ تَسْتَكْبِرُوْنَ فِى الْاَرْضِ بِغَيْرِ الْحَقِّ وَبِمَا كُنْتُمْ تَفْسُقُوْنَ ࣖ   ( الأحقاف: ٢٠ )

And (the) Day
وَيَوْمَ
और जिस दिन
will be exposed
يُعْرَضُ
पेश किए जाऐंगे
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
to
عَلَى
आग पर
the Fire
ٱلنَّارِ
आग पर
"You exhausted
أَذْهَبْتُمْ
(कहा जाएगा) ले चुके तुम
your good things
طَيِّبَٰتِكُمْ
अपनी नेअमतें
in
فِى
अपनी ज़िन्दगी में
your life
حَيَاتِكُمُ
अपनी ज़िन्दगी में
(of) the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
and you took your pleasures
وَٱسْتَمْتَعْتُم
और फ़ायदा उठालिया तुमने
therein
بِهَا
उनका
So today
فَٱلْيَوْمَ
तो आज
you will be recompensed
تُجْزَوْنَ
तुम बदला दिए जाओगे
(with) a punishment
عَذَابَ
अज़ाब
humiliating
ٱلْهُونِ
रुस्वाई की
because
بِمَا
बवजह उसके जो
you were
كُنتُمْ
थे तुम
arrogant
تَسْتَكْبِرُونَ
तुम तकब्बुर करते
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
without
بِغَيْرِ
बग़ैर
[the] right
ٱلْحَقِّ
हक़ के
and because
وَبِمَا
और बवजह उसके जो
you were
كُنتُمْ
थे तुम
defiantly disobedient"
تَفْسُقُونَ
तुम नाफ़रमानी करते

Wayawma yu'radu allatheena kafaroo 'ala alnnari athhabtum tayyibatikum fee hayatikumu alddunya waistamta'tum biha faalyawma tujzawna 'athaba alhooni bima kuntum tastakbiroona fee alardi bighayri alhaqqi wabima kuntum tafsuqoona (al-ʾAḥq̈āf 46:20)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और याद करो जिस दिन वे लोग जिन्होंने इनकार किया, आग के सामने पेश किए जाएँगे। (कहा जाएगा), 'तुम अपने सांसारिक जीवन में अच्छी रुचिकर चीज़े नष्ट कर बैठे और उनका मज़ा ले चुके। अतः आज तुम्हे अपमानजनक यातना दी जाएगी, क्योंकि तुम धरती में बिना किसी हक़ के घमंड करते रहे और इसलिए कि तुम आज्ञा का उल्लंघन करते रहे।'

English Sahih:

And the Day those who disbelieved are exposed to the Fire [it will be said], "You exhausted your pleasures during your worldly life and enjoyed them, so this Day you will be awarded the punishment of [extreme] humiliation because you were arrogant upon the earth without right and because you were defiantly disobedient." ([46] Al-Ahqaf : 20)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिस दिन कुफ्फार जहन्नुम के सामने लाएँ जाएँगे (तो उनसे कहा जाएगा कि) तुमने अपनी दुनिया की ज़िन्दगी में अपने मज़े उड़ा चुके और उसमें ख़ूब चैन कर चुके तो आज तुम पर ज़िल्लत का अज़ाब किया जाएगा इसलिए कि तुम अपनी ज़मीन में अकड़ा करते थे और इसलिए कि तुम बदकारियां करते थे