Skip to main content

وَاِذَا عَلِمَ مِنْ اٰيٰتِنَا شَيْـًٔا ۨاتَّخَذَهَا هُزُوًاۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُّهِيْنٌۗ   ( الجاثية: ٩ )

And when
وَإِذَا
और जब
he knows
عَلِمَ
वो जान लेता है
of
مِنْ
हमारी आयात में से
Our Verses
ءَايَٰتِنَا
हमारी आयात में से
anything
شَيْـًٔا
कोई चीज़
he takes them
ٱتَّخَذَهَا
वो बना लेता है उसे
(in) ridicule
هُزُوًاۚ
मज़ाक़
Those -
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
for them
لَهُمْ
उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
humiliating
مُّهِينٌ
ज़लील करने वाला

Waitha 'alima min ayatina shayan ittakhathaha huzuwan olaika lahum 'athabun muheenun (al-Jāthiyah 45:9)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब हमारी आयतों में से कोई बात वह जान लेता है तो वह उनका परिहास करता है, ऐसे लोगों के लिए रुसवा कर देनेवाली यातना है

English Sahih:

And when he knows anything of Our verses, he takes them in ridicule. Those will have a humiliating punishment. ([45] Al-Jathiyah : 9)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जब हमारी आयतों में से किसी आयत पर वाक़िफ़ हो जाता है तो उसकी हँसी उड़ाता है ऐसे ही लोगों के वास्ते ज़लील करने वाला अज़ाब है