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ذٰلِكُمْ بِاَنَّكُمُ اتَّخَذْتُمْ اٰيٰتِ اللّٰهِ هُزُوًا وَّغَرَّتْكُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا ۚفَالْيَوْمَ لَا يُخْرَجُوْنَ مِنْهَا وَلَا هُمْ يُسْتَعْتَبُوْنَ  ( الجاثية: ٣٥ )

That
ذَٰلِكُم
ये बात
(is) because you
بِأَنَّكُمُ
बवजह उसके कि तुम
took
ٱتَّخَذْتُمْ
बना लिया तुमने
(the) Verses
ءَايَٰتِ
आयात को
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की
(in) ridicule
هُزُوًا
मज़ाक़
and deceived you
وَغَرَّتْكُمُ
और धोखा दिया तुम्हें
the life
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी ने
(of) the world"
ٱلدُّنْيَاۚ
दुनिया की
So this Day
فَٱلْيَوْمَ
तो आज
not
لَا
ना वो निकाले जाऐंगे
they will be brought forth
يُخْرَجُونَ
ना वो निकाले जाऐंगे
from it
مِنْهَا
उससे
and not
وَلَا
और नहीं
they
هُمْ
वो
will be asked to appease
يُسْتَعْتَبُونَ
वो उज़्र क़ुबूल किए जाऐंगे

Thalikum biannakumu ittakhathtum ayati Allahi huzuwan wagharratkumu alhayatu alddunya faalyawma la yukhrajoona minha wala hum yusta'taboona (al-Jāthiyah 45:35)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यह इस कारण कि तुमने अल्लाह की आयतों की हँसी उड़ाई थी और सांसारिक जीवन ने तुम्हें धोखे में डाले रखा।' अतः आज वे न तो उससे निकाले जाएँगे और न उनसे यह चाहा जाएगा कि वे किसी उपाय से (अल्लाह के) प्रकोप को दूर कर सकें

English Sahih:

That is because you took the verses of Allah in ridicule, and worldly life deluded you." So that Day they will not be removed from it, nor will they be asked to appease [Allah]. ([45] Al-Jathiyah : 35)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ये इस सबब से कि तुम लोगों ने ख़ुदा की आयतों को हँसी ठट्ठा बना रखा था और दुनयावी ज़िन्दगी ने तुमको धोखे में डाल दिया था ग़रज़ ये लोग न तो आज दुनिया से निकाले जाएँगे और न उनको इसका मौका दिया जाएगा कि (तौबा करके ख़ुदा को) राज़ी कर ले