وَخَلَقَ اللّٰهُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ وَلِتُجْزٰى كُلُّ نَفْسٍۢ بِمَا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ( الجاثية: ٢٢ )
And Allah created
وَخَلَقَ
और पैदा किया
And Allah created
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
and the earth
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
in truth
بِٱلْحَقِّ
हक़ के साथ
and that may be recompensed
وَلِتُجْزَىٰ
और ताकि बदला दिया जाए
every
كُلُّ
हर
soul
نَفْسٍۭ
नफ़्स को
for what
بِمَا
उसका जो
it has earned
كَسَبَتْ
उसने कमाई की
and they
وَهُمْ
और वो
will not be wronged
لَا
वो ज़ुल्म ना किए जाऐंगे
will not be wronged
يُظْلَمُونَ
वो ज़ुल्म ना किए जाऐंगे
Wakhalaqa Allahu alssamawati waalarda bialhaqqi walitujza kullu nafsin bima kasabat wahum la yuthlamoona (al-Jāthiyah 45:22)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अल्लाह ने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया और इसलिए कि प्रत्येक व्यक्ति को उसकी कमाई का बदला दिया जाए और उनपर ज़ुल्म न किया जाए
English Sahih:
And Allah created the heavens and earth in truth and so that every soul may be recompensed for what it has earned, and they will not be wronged. ([45] Al-Jathiyah : 22)