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وَلِبُيُوْتِهِمْ اَبْوَابًا وَّسُرُرًا عَلَيْهَا يَتَّكِـُٔوْنَۙ   ( الزخرف: ٣٤ )

And for their houses
وَلِبُيُوتِهِمْ
और उनके घरों के
doors
أَبْوَٰبًا
दरवाज़े
and couches
وَسُرُرًا
और तख़्त
upon which
عَلَيْهَا
जिन पर
they recline
يَتَّكِـُٔونَ
वो तकिया लगाते है

Walibuyootihim abwaban wasururan 'alayha yattakioona (az-Zukhruf 43:34)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और उनके घरों के दरवाज़े भी और वे तख़्त भी जिनपर वे टेक लगाते

English Sahih:

And for their houses – doors and couches [of silver] upon which to recline ([43] Az-Zukhruf : 34)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और उनके घरों के दरवाज़े और वह तख्त जिन पर तकिये लगाते हैं चाँदी और सोने के बना देते