بَلْ مَتَّعْتُ هٰٓؤُلَاۤءِ وَاٰبَاۤءَهُمْ حَتّٰى جَاۤءَهُمُ الْحَقُّ وَرَسُوْلٌ مُّبِيْنٌ ( الزخرف: ٢٩ )
Nay
بَلْ
बल्कि
I gave enjoyment
مَتَّعْتُ
सामाने ज़िन्दगी दिया मैं ने
(to) these
هَٰٓؤُلَآءِ
उन्हें
and their forefathers
وَءَابَآءَهُمْ
और उनके आबा ओ अजदाद को
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
came to them
جَآءَهُمُ
आ गया उनके पास
the truth
ٱلْحَقُّ
हक़
and a Messenger
وَرَسُولٌ
और रसूल
clear
مُّبِينٌ
वाज़ेह करने वाला
Bal matta'tu haolai waabaahum hatta jaahumu alhaqqu warasoolun mubeenun (az-Zukhruf 43:29)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
नहीं,बल्कि मैं उन्हें और उनके बाप-दादा को जीवन-सुख प्रदान करता रहा, यहाँ तक कि उनके पास सत्य और खोल-खोलकर बतानेवाला रसूल आ गया
English Sahih:
However, I gave enjoyment to these [people of Makkah] and their fathers until there came to them the truth and a clear Messenger. ([43] Az-Zukhruf : 29)