تَكَادُ السَّمٰوٰتُ يَتَفَطَّرْنَ مِنْ فَوْقِهِنَّ وَالْمَلٰۤىِٕكَةُ يُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَيَسْتَغْفِرُوْنَ لِمَنْ فِى الْاَرْضِۗ اَلَآ اِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ ( الشورى: ٥ )
Takadu alssamawatu yatafattarna min fawqihinna waalmalaikatu yusabbihoona bihamdi rabbihim wayastaghfiroona liman fee alardi ala inna Allaha huwa alghafooru alrraheemu (aš-Šūrā 42:5)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
लगता है कि आकाश स्वयं अपने ऊपर से फट पड़े। हाल यह है कि फ़रिश्ते अपने रब का गुणगान कर रहे, और उन लोगों के लिए जो धरती में है, क्षमा की प्रार्थना करते रहते है। सुन लो! निश्चय ही अल्लाह ही क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है
English Sahih:
The heavens almost break from above them, and the angels exalt [Allah] with praise of their Lord and ask forgiveness for those on earth. Unquestionably, it is Allah who is the Forgiving, the Merciful. ([42] Ash-Shuraa : 5)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(उनकी बातों से) क़रीब है कि सारे आसमान (उसकी हैबत के मारे) अपने ऊपर वार से फट पड़े और फ़रिश्ते तो अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करते हैं और जो लोग ज़मीन में हैं उनके लिए (गुनाहों की) माफी माँगा करते हैं सुन रखो कि ख़ुदा ही यक़ीनन बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है