وَتَرٰىهُمْ يُعْرَضُوْنَ عَلَيْهَا خٰشِعِيْنَ مِنَ الذُّلِّ يَنْظُرُوْنَ مِنْ طَرْفٍ خَفِيٍّۗ وَقَالَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنَّ الْخٰسِرِيْنَ الَّذِيْنَ خَسِرُوْٓا اَنْفُسَهُمْ وَاَهْلِيْهِمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ اَلَآ اِنَّ الظّٰلِمِيْنَ فِيْ عَذَابٍ مُّقِيْمٍ ( الشورى: ٤٥ )
Watarahum yu'radoona 'alayha khashi'eena mina alththulli yanthuroona min tarfin khafiyyin waqala allatheena amanoo inna alkhasireena allatheena khasiroo anfusahum waahleehim yawma alqiyamati ala inna alththalimeena fee 'athabin muqeemin (aš-Šūrā 42:45)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और तुम उन्हें देखोगे कि वे उस (जहन्नम) पर इस दशा में लाए जा रहे है कि बेबसी और अपमान के कारण दबे हुए है। कनखियों से देख रहे है। जो लोग ईमान लाए, वे उस समय कहेंगे कि 'निश्चय ही घाटे में पड़नेवाले वही है जिन्होंने क़ियामत के दिन अपने आपको और अपने लोगों को घाटे में डाल दिया। सावधान! निश्चय ही ज़ालिम स्थिर रहनेवाली यातना में होंगे
English Sahih:
And you will see them being exposed to it [i.e., the Fire], humbled from humiliation, looking from [behind] a covert glance. And those who had believed will say, "Indeed, the [true] losers are the ones who lost themselves and their families on the Day of Resurrection. Unquestionably, the wrongdoers are in an enduring punishment." ([42] Ash-Shuraa : 45)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और तुम उनको देखोगे कि दोज़ख़ के सामने लाए गये हैं (और) ज़िल्लत के मारे कटे जाते हैं (और) कनक्खियों से देखे जाते हैं और मोमिनीन कहेंगे कि हकीक़त में वही बड़े घाटे में हैं जिन्होने क़यामत के दिन अपने आप को और अपने घर वालों को ख़सारे में डाला देखो ज़ुल्म करने वाले दाएमी अज़ाब में रहेंगे