اِنَّمَا السَّبِيْلُ عَلَى الَّذِيْنَ يَظْلِمُوْنَ النَّاسَ وَيَبْغُوْنَ فِى الْاَرْضِ بِغَيْرِ الْحَقِّۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ( الشورى: ٤٢ )
Only
إِنَّمَا
बेशक
the way
ٱلسَّبِيلُ
मुआख़िज़ा तो
against
عَلَى
उन पर है जो
those who
ٱلَّذِينَ
उन पर है जो
oppress
يَظْلِمُونَ
ज़ुल्म करते है
the people
ٱلنَّاسَ
लोगों पर
and rebel
وَيَبْغُونَ
और वो बग़ावत करते है
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
without
بِغَيْرِ
बग़ैर
right
ٱلْحَقِّۚ
हक़ के
Those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
for them
لَهُمْ
उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
painful
أَلِيمٌ
दर्दनाक
Innama alssabeelu 'ala allatheena yathlimoona alnnasa wayabghoona fee alardi bighayri alhaqqi olaika lahum 'athabun aleemun (aš-Šūrā 42:42)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इलज़ाम तो केवल उनपर आता है जो लोगों पर ज़ुल्म करते है और धरती में नाहक़ ज़्यादती करते है। ऐसे लोगों के लिए दुखद यातना है
English Sahih:
The cause is only against the ones who wrong the people and tyrannize upon the earth without right. Those will have a painful punishment. ([42] Ash-Shuraa : 42)