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وَجَزٰۤؤُا سَيِّئَةٍ سَيِّئَةٌ مِّثْلُهَا ۚفَمَنْ عَفَا وَاَصْلَحَ فَاَجْرُهٗ عَلَى اللّٰهِ ۗاِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الظّٰلِمِيْنَ  ( الشورى: ٤٠ )

(The) recompense
وَجَزَٰٓؤُا۟
और बदला
(of) an evil
سَيِّئَةٍ
बुराई का
(is) an evil
سَيِّئَةٌ
बुराई है
like it
مِّثْلُهَاۖ
उसकी मसल
But whoever
فَمَنْ
पस जो कोई
pardons
عَفَا
माफ़ कर दे
and makes reconciliation
وَأَصْلَحَ
और वो इस्लाह करे
then his reward
فَأَجْرُهُۥ
तो अजर उसका
(is) on
عَلَى
ज़िम्मे है अल्लाह के
Allah
ٱللَّهِۚ
ज़िम्मे है अल्लाह के
Indeed He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
(does) not
لَا
नहीं वो मुहब्बत करता
like
يُحِبُّ
नहीं वो मुहब्बत करता
the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों से

Wajazao sayyiatin sayyiatun mithluha faman 'afa waaslaha faajruhu 'ala Allahi innahu la yuhibbu alththalimeena (aš-Šūrā 42:40)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

बुराई का बदला वैसी ही बुराई है किन्तु जो क्षमा कर दे और सुधार करे तो उसका बदला अल्लाह के ज़िम्मे है। निश्चय ही वह ज़ालिमों को पसन्द नहीं करता

English Sahih:

And the retribution for an evil act is an evil one like it, but whoever pardons and makes reconciliation – his reward is [due] from Allah. Indeed, He does not like wrongdoers. ([42] Ash-Shuraa : 40)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और बुराई का बदला तो वैसी ही बुराई है उस पर भी जो शख्स माफ कर दे और (मामले की) इसलाह कर दें तो इसका सवाब ख़ुदा के ज़िम्मे है बेशक वह ज़ुल्म करने वालों को पसन्द नहीं करता