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۞ وَلَوْ بَسَطَ اللّٰهُ الرِّزْقَ لِعِبَادِهٖ لَبَغَوْا فِى الْاَرْضِ وَلٰكِنْ يُنَزِّلُ بِقَدَرٍ مَّا يَشَاۤءُ ۗاِنَّهٗ بِعِبَادِهٖ خَبِيْرٌۢ بَصِيْرٌ   ( الشورى: ٢٧ )

And if
وَلَوْ
और अगर
Allah extends
بَسَطَ
खोल दे
Allah extends
ٱللَّهُ
अल्लाह
the provision
ٱلرِّزْقَ
रिज़्क़ को
for His slaves
لِعِبَادِهِۦ
अपने बन्दों के लिए
surely they would rebel
لَبَغَوْا۟
अलबत्ता वो सरकशी करें
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
but
وَلَٰكِن
और लेकिन
He sends down
يُنَزِّلُ
वो उतारता है
in (due) measure
بِقَدَرٍ
साथ एक अंदाज़े के
what
مَّا
जो
He wills
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
Indeed, He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
of His slaves
بِعِبَادِهِۦ
अपने बन्दों से
(is) All-Aware
خَبِيرٌۢ
ख़ूब बाख़बर है
All-Seer
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है

Walaw basata Allahu alrrizqa li'ibadihi labaghaw fee alardi walakin yunazzilu biqadarin ma yashao innahu bi'ibadihi khabeerun baseerun (aš-Šūrā 42:27)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि अल्लाह अपने बन्दों के लिए रोज़ी कुशादा कर देता तो वे धरती में सरकशी करने लगते। किन्तु वह एक अंदाज़े के साथ जो चाहता है, उतारता है। निस्संदेह वह अपने बन्दों की ख़बर रखनेवाला है। वह उनपर निगाह रखता है

English Sahih:

And if Allah had extended [excessively] provision for His servants, they would have committed tyranny throughout the earth. But He sends [it] down in an amount which He wills. Indeed He is, of His servants, Aware and Seeing. ([42] Ash-Shuraa : 27)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर ख़ुदा ने अपने बन्दों की रोज़ी में फराख़ी कर दे तो वह लोग ज़रूर (रूए) ज़मीन से सरकशी करने लगें मगर वह तो बाक़दरे मुनासिब जिसकी रोज़ी (जितनी) चाहता है नाज़िल करता है वह बेशक अपने बन्दों से ख़बरदार (और उनको) देखता है