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وَهُوَ الَّذِيْ يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهٖ وَيَعْفُوْا عَنِ السَّيِّاٰتِ وَيَعْلَمُ مَا تَفْعَلُوْنَۙ   ( الشورى: ٢٥ )

And He
وَهُوَ
और वो ही है
(is) the One Who
ٱلَّذِى
जो
accepts
يَقْبَلُ
क़ुबूल करता है
the repentance
ٱلتَّوْبَةَ
तौबा
of
عَنْ
अपने बन्दों से
His slaves
عِبَادِهِۦ
अपने बन्दों से
and pardons
وَيَعْفُوا۟
और वो दरगुज़र करता है
[of]
عَنِ
बुराइयों से
the evil
ٱلسَّيِّـَٔاتِ
बुराइयों से
and He knows
وَيَعْلَمُ
और वो जानता है
what
مَا
जो
you do
تَفْعَلُونَ
तुम करते हो

Wahuwa allathee yaqbalu alttawbata 'an 'ibadihi waya'foo 'ani alssayyiati waya'lamu ma taf'aloona (aš-Šūrā 42:25)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वही है जो अपने बन्दों की तौबा क़बूल करता है और बुराइयों को माफ़ करता है, हालाँकि वह जानता है, जो कुछ तुम करते हो

English Sahih:

And it is He who accepts repentance from His servants and pardons misdeeds, and He knows what you do. ([42] Ash-Shuraa : 25)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और वही तो है जो अपने बन्दों की तौबा क़ुबूल करता है और गुनाहों को माफ़ करता है और तुम लोग जो कुछ भी करते हो वह जानता है