وَمَا اخْتَلَفْتُمْ فِيْهِ مِنْ شَيْءٍ فَحُكْمُهٗٓ اِلَى اللّٰهِ ۗذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبِّيْ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُۖ وَاِلَيْهِ اُنِيْبُ ( الشورى: ١٠ )
And whatever
وَمَا
और जो भी
you differ
ٱخْتَلَفْتُمْ
इख़्तिलाफ़ किया तुमने
in it
فِيهِ
उसमें
of
مِن
किसी चीज़ से
a thing
شَىْءٍ
किसी चीज़ से
then its ruling
فَحُكْمُهُۥٓ
तो फ़ैसला उसका
(is) to
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के है
Allah
ٱللَّهِۚ
तरफ़ अल्लाह के है
That
ذَٰلِكُمُ
ये है
(is) Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
my Lord
رَبِّى
रब मेरा
upon Him
عَلَيْهِ
उसी पर
I put my trust
تَوَكَّلْتُ
तवक्कल किया मैं ने
and to Him
وَإِلَيْهِ
और उसका की तरफ़
I turn
أُنِيبُ
मैं रुजूअ करता हूँ
Wama ikhtalaftum feehi min shayin fahukmuhu ila Allahi thalikumu Allahu rabbee 'alayhi tawakkaltu wailayhi oneebu (aš-Šūrā 42:10)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
(रसूल ने कहा,) 'जिस चीज़ में तुमने विभेद किया है उसका फ़ैसला तो अल्लाह के हवाले है। वही अल्लाह मेरा रब है। उसी पर मैंने भरोसा किया है, और उसी की ओर में रुजू करता हूँ
English Sahih:
And in anything over which you disagree – its ruling is [to be referred] to Allah. [Say], "That is Allah, my Lord; upon Him I have relied, and to Him I turn back." ([42] Ash-Shuraa : 10)