وَقَالُوْا قُلُوْبُنَا فِيْٓ اَكِنَّةٍ مِّمَّا تَدْعُوْنَآ اِلَيْهِ وَفِيْٓ اٰذَانِنَا وَقْرٌ وَّمِنْۢ بَيْنِنَا وَبَيْنِكَ حِجَابٌ فَاعْمَلْ اِنَّنَا عٰمِلُوْنَ ( فصلت: ٥ )
Waqaloo quloobuna fee akinnatin mimma tad'oona ilayhi wafee athanina waqrun wamin baynina wabaynika hijabun fai'mal innana 'amiloona (Fuṣṣilat 41:5)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और उनका कहना है कि 'जिसकी ओर तुम हमें बुलाते हो उसके लिए तो हमारे दिल आवरणों में है। और हमारे कानों में बोझ है। और हमारे और तुम्हारे बीच एक ओट है; अतः तुम अपना काम करो, हम तो अपना काम करते है।'
English Sahih:
And they say, "Our hearts are within coverings [i.e., screened] from that to which you invite us, and in our ears is deafness, and between us and you is a partition, so work; indeed, we are working." ([41] Fussilat : 5)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और कहने लगे जिस चीज़ की तरफ तुम हमें बुलाते हो उससे तो हमारे दिल पर्दों में हैं (कि दिल को नहीं लगती) और हमारे कानों में गिर्दानी (बहरापन है) कि कुछ सुनायी नहीं देता और हमारे तुम्हारे दरमियान एक पर्दा (हायल) है तो तुम (अपना) काम करो हम (अपना) काम करते हैं