مَنْ عَمِلَ صَالِحًا فَلِنَفْسِهٖ ۙوَمَنْ اَسَاۤءَ فَعَلَيْهَا ۗوَمَا رَبُّكَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيْدِ ۔ ( فصلت: ٤٦ )
Whoever
مَّنْ
जिसने
does
عَمِلَ
अमल किया
righteous deeds
صَٰلِحًا
नेक
then it is for his soul;
فَلِنَفْسِهِۦۖ
तो अपने ही लिए है
and whoever
وَمَنْ
और जिसने
does evil
أَسَآءَ
बुरा किया
then it is against it
فَعَلَيْهَاۗ
तो उसी पर है
And not
وَمَا
और नहीं
(is) your Lord
رَبُّكَ
रब आपका
unjust
بِظَلَّٰمٍ
कुछ भी ज़ुल्म करने वाला
to His slaves
لِّلْعَبِيدِ
बन्दों पर
Man 'amila salihan falinafsihi waman asaa fa'alayha wama rabbuka bithallamin lil'abeedi (Fuṣṣilat 41:46)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिस किसी ने अच्छा कर्म किया तो अपने ही लिए और जिस किसी ने बुराई की, तो उसका वबाल भी उसी पर पड़ेगा। वास्तव में तुम्हारा रब अपने बन्दों पर तनिक भी ज़ुल्म नहीं करता
English Sahih:
Whoever does righteousness – it is for his [own] soul; and whoever does evil [does so] against it. And your Lord is not ever unjust to [His] servants. ([41] Fussilat : 46)