Skip to main content

فَاِنْ يَّصْبِرُوْا فَالنَّارُ مَثْوًى لَّهُمْ ۚوَاِنْ يَّسْتَعْتِبُوْا فَمَا هُمْ مِّنَ الْمُعْتَبِيْنَ  ( فصلت: ٢٤ )

Then if
فَإِن
फिर अगर
they endure
يَصْبِرُوا۟
वो सब्र करें
the Fire
فَٱلنَّارُ
तो आग
(is) an abode
مَثْوًى
ठिकाना है
for them;
لَّهُمْۖ
उनके लिए
and if
وَإِن
और अगर
they ask for favor
يَسْتَعْتِبُوا۟
वो माफ़ी तलब करेंगे
then not
فَمَا
तो नहीं
they
هُم
वो
(will be) of
مِّنَ
उज़्र क़ुबूल किए जाने वालों में से
those who receive favor
ٱلْمُعْتَبِينَ
उज़्र क़ुबूल किए जाने वालों में से

Fain yasbiroo faalnnaru mathwan lahum wain yasta'tiboo fama hum mina almu'tabeena (Fuṣṣilat 41:24)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अब यदि वे धैर्य दिखाएँ तब भी आग ही उनका ठिकाना है। और यदि वे किसी प्रकार (उसके) क्रोध को दूर करना चाहें, तब भी वे ऐसे नहीं कि वे राज़ी कर सकें

English Sahih:

So [even] if they are patient, the Fire is a residence for them; and if they ask to appease [Allah], they will not be of those who are allowed to appease. ([41] Fussilat : 24)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

फिर अगर ये लोग सब्र भी करें तो भी इनका ठिकाना दोज़ख़ ही है और अगर तौबा करें तो भी इनकी तौबा क़ुबूल न की जाएगी