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ثُمَّ اسْتَوٰىٓ اِلَى السَّمَاۤءِ وَهِيَ دُخَانٌ فَقَالَ لَهَا وَلِلْاَرْضِ ائْتِيَا طَوْعًا اَوْ كَرْهًاۗ قَالَتَآ اَتَيْنَا طَاۤىِٕعِيْنَ   ( فصلت: ١١ )

Then
ثُمَّ
फिर
He directed (Himself)
ٱسْتَوَىٰٓ
वो मुतवज्जा हुआ
towards
إِلَى
तरफ़ आसमान के
the heaven
ٱلسَّمَآءِ
तरफ़ आसमान के
while it (was)
وَهِىَ
और वो
smoke
دُخَانٌ
एक धुवाँ था
and He said
فَقَالَ
तो उसने कहा
to it
لَهَا
उससे
and to the earth
وَلِلْأَرْضِ
और ज़मीन से
"Come both of you
ٱئْتِيَا
दोनों आ जाओ
willingly
طَوْعًا
ख़ुशी से
or
أَوْ
या
unwillingly"
كَرْهًا
ना ख़ुशी से
They both said
قَالَتَآ
दोनों ने कहा
"We come
أَتَيْنَا
आ गए हम
willingly"
طَآئِعِينَ
ख़ुश होकर

Thumma istawa ila alssamai wahiya dukhanun faqala laha walilardi itiya taw'an aw karhan qalata atayna tai'eena (Fuṣṣilat 41:11)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर उसने आकाश की ओर रुख़ किया, जबकि वह मात्र धुआँ था- और उसने उससे और धरती से कहा, 'आओ, स्वेच्छा के साथ या अनिच्छा के साथ।' उन्होंने कहा, 'हम स्वेच्छा के साथ आए।' -

English Sahih:

Then He directed Himself to the heaven while it was smoke and said to it and to the earth, "Come [into being], willingly or by compulsion." They said, "We have come willingly." ([41] Fussilat : 11)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

फिर आसमान की तरफ मुतावज्जे हुआ और (उस वक्त) धुएँ (का सा) था उसने उससे और ज़मीन से फरमाया कि तुम दोनों आओ ख़़ुशी से ख्वाह कराहत से, दोनों ने अर्ज़ की हम ख़़ुशी ख़़ुशी हाज़िर हैं