وَقِهِمُ السَّيِّاٰتِۗ وَمَنْ تَقِ السَّيِّاٰتِ يَوْمَىِٕذٍ فَقَدْ رَحِمْتَهٗ ۗوَذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ࣖ ( غافر: ٩ )
And protect them
وَقِهِمُ
और बचा उन्हें
(from) the evils
ٱلسَّيِّـَٔاتِۚ
बुराइयों से
And whoever
وَمَن
और जिसे
you protect
تَقِ
तू बचा लेगा
(from) the evils
ٱلسَّيِّـَٔاتِ
बुराइयों से
(that) Day
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
then verily
فَقَدْ
पस तहक़ीक़
You bestowed Mercy on him
رَحِمْتَهُۥۚ
रहम किया तू ने उस पर
And that
وَذَٰلِكَ
और यही है
[it]
هُوَ
वो
(is) the success
ٱلْفَوْزُ
कामयाबी
the great"
ٱلْعَظِيمُ
बहुत बड़ी
Waqihimu alssayyiati waman taqi alssayyiati yawmaithin faqad rahimtahu wathalika huwa alfawzu al'atheemu (Ghāfir 40:9)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और उन्हें अनिष्टों से बचा। जिसे उस दिन तूने अनिष्टों से बचा लिया, तो निश्चय ही उसपर तूने दया की। और वही बड़ी सफलता है।'
English Sahih:
And protect them from the evil consequences [of their deeds]. And he whom You protect from evil consequences that Day – You will have given him mercy. And that is the great attainment." ([40] Ghafir : 9)