اَلَّذِيْنَ يَحْمِلُوْنَ الْعَرْشَ وَمَنْ حَوْلَهٗ يُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَيُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَيَسْتَغْفِرُوْنَ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوْاۚ رَبَّنَا وَسِعْتَ كُلَّ شَيْءٍ رَّحْمَةً وَّعِلْمًا فَاغْفِرْ لِلَّذِيْنَ تَابُوْا وَاتَّبَعُوْا سَبِيْلَكَ وَقِهِمْ عَذَابَ الْجَحِيْمِ ( غافر: ٧ )
Allatheena yahmiloona al'arsha waman hawlahu yusabbihoona bihamdi rabbihim wayuminoona bihi wayastaghfiroona lillatheena amanoo rabbana wasi'ta kulla shayin rahmatan wa'ilman faighfir lillatheena taboo waittaba'oo sabeelaka waqihim 'athaba aljaheemi (Ghāfir 40:7)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो सिंहासन को उठाए हुए है और जो उसके चतुर्दिक हैं, अपने रब का गुणगान करते है और उस पर ईमान रखते है और उन लोगों के लिए क्षमा की प्रार्थना करते है जो ईमान लाए कि 'ऐ हमारे रब! तू हर चीज़ को व्याप्त है। अतः जिन लोगों ने तौबा की और तेरे मार्ग का अनुसरण किया, उन्हें क्षमा कर दे और भड़कती हुई आग की यातना से बचा लें
English Sahih:
Those [angels] who carry the Throne and those around it exalt [Allah] with praise of their Lord and believe in Him and ask forgiveness for those who have believed, [saying], "Our Lord, You have encompassed all things in mercy and knowledge, so forgive those who have repented and followed Your way and protect them from the punishment of Hellfire. ([40] Ghafir : 7)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जो (फ़रिश्ते) अर्श को उठाए हुए हैं और जो उस के गिर्दा गिर्द (तैनात) हैं (सब) अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करते हैं और उस पर ईमान रखते हैं और मोमिनों के लिए बख़शिश की दुआएं माँगा करते हैं कि परवरदिगार तेरी रहमत और तेरा इल्म हर चीज़ पर अहाता किए हुए हैं, तो जिन लोगों ने (सच्चे) दिल से तौबा कर ली और तेरे रास्ते पर चले उनको बख्श दे और उनको जहन्नुम के अज़ाब से बचा ले