اِنَّا لَنَنْصُرُ رُسُلَنَا وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا وَيَوْمَ يَقُوْمُ الْاَشْهَادُۙ ( غافر: ٥١ )
Indeed We
إِنَّا
बेशक हम
We will surely help
لَنَنصُرُ
अलबत्ता हम मदद करते हैं
Our Messengers
رُسُلَنَا
अपने रसूलों की
and those who
وَٱلَّذِينَ
और उनकी जो
believe
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हैं
in
فِى
ज़िन्दगी में
the life
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी में
(of) the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
and (on the) Day
وَيَوْمَ
और जिस दिन
(when) will stand
يَقُومُ
खड़े होंगे
the witnesses
ٱلْأَشْهَٰدُ
गवाह
Inna lanansuru rusulana waallatheena amanoo fee alhayati alddunya wayawma yaqoomu alashhadu (Ghāfir 40:51)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निश्चय ही हम अपने रसूलों की और उन लोगों की जो ईमान लाए अवश्य सहायता करते है, सांसारिक जीवन में भी और उस दिन भी, जबकि गवाह खड़े होंगे
English Sahih:
Indeed, We will support Our messengers and those who believe during the life of this world and on the Day when the witnesses will stand – ([40] Ghafir : 51)