Skip to main content

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا يُنَادَوْنَ لَمَقْتُ اللّٰهِ اَكْبَرُ مِنْ مَّقْتِكُمْ اَنْفُسَكُمْ اِذْ تُدْعَوْنَ اِلَى الْاِيْمَانِ فَتَكْفُرُوْنَ  ( غافر: ١٠ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
will be cried out to them
يُنَادَوْنَ
वो पुकारे जाऐंगे
Certainly Allah's hatred
لَمَقْتُ
यक़ीनन नाराज़गी
Certainly Allah's hatred
ٱللَّهِ
अल्लाह की
(was) greater
أَكْبَرُ
ज़्यादा बड़ी है
than
مِن
तुम्हारी नाराज़गी से
your hatred
مَّقْتِكُمْ
तुम्हारी नाराज़गी से
(of) yourselves
أَنفُسَكُمْ
अपने आप पर
when
إِذْ
जब
you were called
تُدْعَوْنَ
तुम बुलाए जाते थे
to
إِلَى
तरफ़ ईमान के
the faith
ٱلْإِيمَٰنِ
तरफ़ ईमान के
and you disbelieved
فَتَكْفُرُونَ
तो तुम इन्कार करते थे

Inna allatheena kafaroo yunadawna lamaqtu Allahi akbaru min maqtikum anfusakum ith tud'awna ila aleemani fatakfuroona (Ghāfir 40:10)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

निश्चय ही जिन लोगों ने इनकार किया उन्हें पुकारकर कहा जाएगा कि 'अपने आपसे जो तुम्हें विद्वेष एवं क्रोध है, तुम्हारे प्रति अल्लाह का क्रोध एवं द्वेष उससे कहीं बढकर है कि जब तुम्हें ईमान की ओर बुलाया जाता था तो तुम इनकार करते थे।'

English Sahih:

Indeed, those who disbelieve will be addressed, "The hatred of Allah for you was [even] greater than your hatred of yourselves [this Day in Hell] when you were invited to faith, but you disbelieved [i.e., refused]." ([40] Ghafir : 10)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(हाँ) जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उनसे पुकार कर कह दिया जाएगा कि जितना तुम (आज) अपनी जान से बेज़ार हो उससे बढ़कर ख़ुदा तुमसे बेज़ार था जब तुम ईमान की तरफ बुलाए जाते थे तो कुफ्र करते थे