اِلَّا الْمُسْتَضْعَفِيْنَ مِنَ الرِّجَالِ وَالنِّسَاۤءِ وَالْوِلْدَانِ لَا يَسْتَطِيْعُوْنَ حِيْلَةً وَّلَا يَهْتَدُوْنَ سَبِيْلًاۙ ( النساء: ٩٨ )
Except
إِلَّا
सिवाय (उनके)
the oppressed
ٱلْمُسْتَضْعَفِينَ
जो कमज़ोर हैं
among
مِنَ
मर्दों में से
the men
ٱلرِّجَالِ
मर्दों में से
and the women
وَٱلنِّسَآءِ
और औरतों में से
and the children
وَٱلْوِلْدَٰنِ
और बच्चों में से
(who) not
لَا
नहीं वो इस्तिताअत रखते
are able to
يَسْتَطِيعُونَ
नहीं वो इस्तिताअत रखते
plan
حِيلَةً
किसी हीले / तदबीर की
and not
وَلَا
और नहीं
they are directed
يَهْتَدُونَ
वो पाते
(to) a way
سَبِيلًا
कोई रास्ता
Illa almustad'afeena mina alrrijali waalnnisai waalwildani la yastatee'oona heelatan wala yahtadoona sabeelan (an-Nisāʾ 4:98)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सिवाय उन बेबस पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों के जिनके बस में कोई उपाय नहीं और न कोई राह पा रहे है;
English Sahih:
Except for the oppressed among men, women, and children who cannot devise a plan nor are they directed to a way – ([4] An-Nisa : 98)