سَتَجِدُوْنَ اٰخَرِيْنَ يُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّأْمَنُوْكُمْ وَيَأْمَنُوْا قَوْمَهُمْ ۗ كُلَّ مَا رُدُّوْٓا اِلَى الْفِتْنَةِ اُرْكِسُوْا فِيْهَا ۚ فَاِنْ لَّمْ يَعْتَزِلُوْكُمْ وَيُلْقُوْٓا اِلَيْكُمُ السَّلَمَ وَيَكُفُّوْٓا اَيْدِيَهُمْ فَخُذُوْهُمْ وَاقْتُلُوْهُمْ حَيْثُ ثَقِفْتُمُوْهُمْ ۗ وَاُولٰۤىِٕكُمْ جَعَلْنَا لَكُمْ عَلَيْهِمْ سُلْطٰنًا مُّبِيْنًا ࣖ ( النساء: ٩١ )
Satajidoona akhareena yureedoona an yamanookum wayamanoo qawmahum kulla ma ruddoo ila alfitnati orkisoo feeha fain lam ya'tazilookum wayulqoo ilaykumu alssalama wayakuffoo aydiyahum fakhuthoohum waoqtuloohum haythu thaqiftumoohum waolaikum ja'alna lakum 'alayhim sultanan mubeenan (an-Nisāʾ 4:91)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अब तुम कुछ ऐसे लोगों को भी पाओगे, जो चाहते है कि तुम्हारी ओर से निश्चिन्त होकर रहें और अपने लोगों की ओर से भी निश्चिन्त होकर रहे। परन्तु जब भी वे फ़साद और उपद्रव की ओर फेरे गए तो वे उसी में औधे जो गिरे। तो यदि वे तुमसे अलग-थलग न रहें और तुम्हारी ओर सुलह का हाथ न बढ़ाएँ, और अपने हाथ न रोकें, तो तुम उन्हें पकड़ो और क़त्ल करो, जहाँ कहीं भी तुम उन्हें पाओ। उनके विरुद्ध हमने तुम्हें खुला अधिकार दे रखा है
English Sahih:
You will find others who wish to obtain security from you and [to] obtain security from their people. Every time they are returned to [the influence of] disbelief, they fall back into it. So if they do not withdraw from you or offer you peace or restrain their hands, then seize them and kill them wherever you overtake them. And those – We have made for you against them a clear authorization. ([4] An-Nisa : 91)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
अनक़रीब तुम कुछ ऐसे और लोगों को भी पाओगे जो चाहते हैं कि तुमसे भी अमन में रहें और अपनी क़ौम से भी अमन में रहें (मगर) जब कभी झगड़े की तरफ़ बुलाए गए तो उसमें औंधे मुंह के बल गिर पड़े पस अगर वह तुमसे न किनारा कशी करें और न तुम्हें सुलह का पैग़ाम दें और न लड़ाई से अपने हाथ रोकें पस उनको पकड़ों और जहॉ पाओ उनको क़त्ल करो और यही वह लोग हैं जिनपर हमने तुम्हें सरीही ग़लबा अता फ़रमाया