مَآ اَصَابَكَ مِنْ حَسَنَةٍ فَمِنَ اللّٰهِ ۖ وَمَآ اَصَابَكَ مِنْ سَيِّئَةٍ فَمِنْ نَّفْسِكَ ۗ وَاَرْسَلْنٰكَ لِلنَّاسِ رَسُوْلًا ۗ وَكَفٰى بِاللّٰهِ شَهِيْدًا ( النساء: ٧٩ )
Ma asabaka min hasanatin famina Allahi wama asabaka min sayyiatin famin nafsika waarsalnaka lilnnasi rasoolan wakafa biAllahi shaheedan (an-Nisāʾ 4:79)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम्हें जो भी भलाई प्राप्त' होती है, वह अल्लाह को ओर से है और जो बुरी हालत तुम्हें पेश आ जाती है तो वह तुम्हारे अपने ही कारण पेश आती है। हमने तुम्हें लोगों के लिए रसूल बनाकर भेजा है और (इसपर) अल्लाह का गवाह होना काफ़ी है
English Sahih:
What comes to you of good is from Allah, but what comes to you of evil, [O man], is from yourself. And We have sent you, [O Muhammad], to the people as a messenger, and sufficient is Allah as Witness. ([4] An-Nisa : 79)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
हालॉकि (सच तो यूं है कि) जब तुमको कोई फ़ायदा पहुंचे तो (समझो कि) ख़ुदा की तरफ़ से है और जब तुमको कोई फ़ायदा पहुंचे तो (समझो कि) ख़ुद तुम्हारी बदौलत है और (ऐ रसूल) हमने तुमको लोगों के पास पैग़म्बर बनाकर भेजा है और (इसके लिए) ख़ुदा की गवाही काफ़ी है