وَلَوْ اَنَّا كَتَبْنَا عَلَيْهِمْ اَنِ اقْتُلُوْٓا اَنْفُسَكُمْ اَوِ اخْرُجُوْا مِنْ دِيَارِكُمْ مَّا فَعَلُوْهُ اِلَّا قَلِيْلٌ مِّنْهُمْ ۗوَلَوْ اَنَّهُمْ فَعَلُوْا مَا يُوْعَظُوْنَ بِهٖ لَكَانَ خَيْرًا لَّهُمْ وَاَشَدَّ تَثْبِيْتًاۙ ( النساء: ٦٦ )
Walaw anna katabna 'alayhim ani oqtuloo anfusakum awi okhrujoo min diyarikum ma fa'aloohu illa qaleelun minhum walaw annahum fa'aloo ma yoo'athoona bihi lakana khayran lahum waashadda tathbeetan (an-Nisāʾ 4:66)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और यदि कहीं हमने उन्हें आदेश दिया होता कि 'अपनों को क़त्ल करो या अपने घरों से निकल जाओ।' तो उनमें से थोड़े ही ऐसा करते। हालाँकि जो नसीहत उन्हें दी जाती है, अगर वे उसे व्यवहार में लाते तो यह बात उनके लिए अच्छी होती और ज़्यादा ज़माव पैदा करनेवाली होती
English Sahih:
And if We had decreed upon them, "Kill yourselves" or "Leave your homes," they would not have done it, except for a few of them. But if they had done what they were instructed, it would have been better for them and a firmer position [for them in faith]. ([4] An-Nisa : 66)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(इस्लामी शरीयत में तो उनका ये हाल है) और अगर हम बनी इसराइल की तरह उनपर ये हुक्म जारी कर देते कि तुम अपने आपको क़त्ल कर डालो या शहर बदर हो जाओ तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा ये लोग तो उसको न करते और अगर ये लोग इस बात पर अमल करते जिसकी उन्हें नसीहत की जाती है तो उनके हक़ में बहुत बेहतर होता