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اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ يَعْلَمُ اللّٰهُ مَا فِيْ قُلُوْبِهِمْ فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ وَعِظْهُمْ وَقُلْ لَّهُمْ فِيْٓ اَنْفُسِهِمْ قَوْلًا ۢ بَلِيْغًا   ( النساء: ٦٣ )

Those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
(are) the ones who
ٱلَّذِينَ
वो जो
knows
يَعْلَمُ
जानता है
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
what
مَا
उसको जो
(is) in
فِى
उनके दिलों में है
their hearts
قُلُوبِهِمْ
उनके दिलों में है
so turn away
فَأَعْرِضْ
पस आप ऐराज़ कीजिए
from them
عَنْهُمْ
उनसे
and admonish them
وَعِظْهُمْ
और नसीहत कीजिए उन्हें
and say
وَقُل
और कह दीजिए
to them
لَّهُمْ
उन्हें
concerning
فِىٓ
उनके दिलों में
their souls
أَنفُسِهِمْ
उनके दिलों में
a word
قَوْلًۢا
बात
penetrating
بَلِيغًا
पहुँचने वाली / पुर असर

Olaika allatheena ya'lamu Allahu ma fee quloobihim faa'rid 'anhum wa'ithhum waqul lahum fee anfusihim qawlan baleeghan (an-Nisāʾ 4:63)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ये वे लोग है जिनके दिलों की बात अल्लाह भली-भाँति जानता है; तो तुम उन्हें जाने दो और उन्हें समझओ और उनसे उनके विषय में वह बात कहो जो प्रभावकारी हो

English Sahih:

Those are the ones of whom Allah knows what is in their hearts, so turn away from them but admonish them and speak to them a far-reaching [i.e., effective] word. ([4] An-Nisa : 63)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

पस तुम उनसे दरगुज़र करो और उनको नसीहत करो और उनसे उनके दिल में असर करने वाली बात कहो और हमने कोई रसूल नहीं भेजा मगर इस वास्ते कि ख़ुदा के हुक्म से लोग उसकी इताअत करें