فَكَيْفَ اِذَآ اَصَابَتْهُمْ مُّصِيْبَةٌ ۢبِمَا قَدَّمَتْ اَيْدِيْهِمْ ثُمَّ جَاۤءُوْكَ يَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ ۖاِنْ اَرَدْنَآ اِلَّآ اِحْسَانًا وَّتَوْفِيْقًا ( النساء: ٦٢ )
So how
فَكَيْفَ
तो क्या होता है
when
إِذَآ
जब
befalls them
أَصَٰبَتْهُم
पहुँचती है उन्हें
disaster
مُّصِيبَةٌۢ
कोई मुसीबत
for what
بِمَا
बवजह उसके जो
sent forth
قَدَّمَتْ
आगे भेजा
their hands
أَيْدِيهِمْ
उनके हाथों ने
then
ثُمَّ
फिर
they come to you
جَآءُوكَ
वो आ जाते हैं आपके पास
swearing
يَحْلِفُونَ
क़समें खाते हैं
by Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह की
"Not
إِنْ
नहीं
we intended
أَرَدْنَآ
इरादा किया हमने
except
إِلَّآ
मगर
good
إِحْسَٰنًا
एहसान
and reconciliation"
وَتَوْفِيقًا
और मुवाफ़िक़त का
Fakayfa itha asabathum museebatun bima qaddamat aydeehim thumma jaooka yahlifoona biAllahi in aradna illa ihsanan watawfeeqan (an-Nisāʾ 4:62)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर कैसी बात होगी कि जब उनकी अपनी करतूतों के कारण उनपर बड़ी मुसीबत आ पडेगी। फिर वे तुम्हारे पास अल्लाह की क़समें खाते हुए आते है कि हम तो केवल भलाई और बनाव चाहते थे?
English Sahih:
So how [will it be] when disaster strikes them because of what their hands have put forth and then they come to you swearing by Allah, "We intended nothing but good conduct and accommodation." ([4] An-Nisa : 62)