۞ اِنَّ اللّٰهَ يَأْمُرُكُمْ اَنْ تُؤَدُّوا الْاَمٰنٰتِ اِلٰٓى اَهْلِهَاۙ وَاِذَا حَكَمْتُمْ بَيْنَ النَّاسِ اَنْ تَحْكُمُوْا بِالْعَدْلِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ نِعِمَّا يَعِظُكُمْ بِهٖ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ سَمِيْعًاۢ بَصِيْرًا ( النساء: ٥٨ )
Inna Allaha yamurukum an tuaddoo alamanati ila ahliha waitha hakamtum bayna alnnasi an tahkumoo bial'adli inna Allaha ni'imma ya'ithukum bihi inna Allaha kana samee'an baseeran (an-Nisāʾ 4:58)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अल्लाह तुम्हें आदेश देता है कि अमानतों को उनके हक़दारों तक पहुँचा दिया करो। और जब लोगों के बीच फ़ैसला करो, तो न्यायपूर्वक फ़ैसला करो। अल्लाह तुम्हें कितनी अच्छी नसीहत करता है। निस्सदेह, अल्लाह सब कुछ सुनता, देखता है
English Sahih:
Indeed, Allah commands you to render trusts to whom they are due and when you judge between people to judge with justice. Excellent is that which Allah instructs you. Indeed, Allah is ever Hearing and Seeing. ([4] An-Nisa : 58)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ ईमानदारों ख़ुदा तुम्हें हुक्म देता है कि लोगों की अमानतें अमानत रखने वालों के हवाले कर दो और जब लोगों के बाहमी झगड़ों का फैसला करने लगो तो इन्साफ़ से फैसला करो (ख़ुदा तुमको) इसकी क्या ही अच्छी नसीहत करता है इसमें तो शक नहीं कि ख़ुदा सबकी सुनता है (और सब कुछ) देखता है