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فَمِنْهُمْ مَّنْ اٰمَنَ بِهٖ وَمِنْهُمْ مَّنْ صَدَّ عَنْهُ ۗ وَكَفٰى بِجَهَنَّمَ سَعِيْرًا  ( النساء: ٥٥ )

Then of them
فَمِنْهُم
तो उनमें से कोई है
(are some) who
مَّنْ
जो
believed
ءَامَنَ
ईमान लाया
in him
بِهِۦ
उस पर
and of them
وَمِنْهُم
और उनमें से कोई है
(are some) who
مَّن
जो
turned away
صَدَّ
रुक गया
from him
عَنْهُۚ
उस से
and sufficient
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
(is) Hell
بِجَهَنَّمَ
जहन्नम
(as a) Blazing Fire
سَعِيرًا
भड़कती हुई

Faminhum man amana bihi waminhum man sadda 'anhu wakafa bijahannama sa'eeran (an-Nisāʾ 4:55)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर उनमें से कोई उसपर ईमान लाया और उसमें से किसी ने किनारा खीच लिया। और (ऐसे लोगों के लिए) जहन्नम की भड़कती आग ही काफ़ी है

English Sahih:

And some among them believed in it, and some among them were averse to it. And sufficient is Hell as a blaze. ([4] An-Nisa : 55)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

फिर कुछ लोग तो इस (किताब) पर ईमान लाए और कुछ लोगों ने उससे इन्कार किया और इसकी सज़ा के लिए जहन्नुम की दहकती हुई आग काफ़ी है