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وَلَا تُؤْتُوا السُّفَهَاۤءَ اَمْوَالَكُمُ الَّتِيْ جَعَلَ اللّٰهُ لَكُمْ قِيٰمًا وَّارْزُقُوْهُمْ فِيْهَا وَاكْسُوْهُمْ وَقُوْلُوْا لَهُمْ قَوْلًا مَّعْرُوْفًا  ( النساء: ٥ )

And (do) not
وَلَا
और ना
give
تُؤْتُوا۟
तुम दो
the foolish
ٱلسُّفَهَآءَ
नादानों को
your wealth
أَمْوَٰلَكُمُ
माल अपने
which
ٱلَّتِى
वो जो
(was) made
جَعَلَ
बनाया
(by) Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
for you
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
a means of support
قِيَٰمًا
क़याम (का ज़रिया)
(but) provide (for) them
وَٱرْزُقُوهُمْ
और रिज़्क़ दो उन्हें
with it
فِيهَا
उसमें से
and clothe them
وَٱكْسُوهُمْ
और पहनाओ उन्हें
and speak
وَقُولُوا۟
और कहो
to them
لَهُمْ
उन्हें
words
قَوْلًا
बात
(of) kindness
مَّعْرُوفًا
भली/अच्छी

Wala tutoo alssufahaa amwalakumu allatee ja'ala Allahu lakum qiyaman waorzuqoohum feeha waoksoohum waqooloo lahum qawlan ma'roofan (an-Nisāʾ 4:5)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और अपने माल, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए जीवन-यापन का साधन बनाया है, बेसमझ लोगों को न दो। उन्हें उसमें से खिलाते और पहनाते रहो और उनसे भली बात कहो

English Sahih:

And do not give the weak-minded your property, which Allah has made a means of sustenance for you, but provide for them with it and clothe them and speak to them words of appropriate kindness. ([4] An-Nisa : 5)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अपने वह माल जिनपर ख़ुदा ने तुम्हारी गुज़र न क़रार दी है बेवकूफ़ों (ना समझ यतीम) को न दे बैठो हॉ उसमें से उन्हें खिलाओ और उनको पहनाओ (तो मज़ाएक़ा नहीं) और उनसे (शौक़ से) अच्छी तरह बात करो