مِنَ الَّذِيْنَ هَادُوْا يُحَرِّفُوْنَ الْكَلِمَ عَنْ مَّوَاضِعِهٖ وَيَقُوْلُوْنَ سَمِعْنَا وَعَصَيْنَا وَاسْمَعْ غَيْرَ مُسْمَعٍ وَّرَاعِنَا لَيًّاۢ بِاَلْسِنَتِهِمْ وَطَعْنًا فِى الدِّيْنِۗ وَلَوْ اَنَّهُمْ قَالُوْا سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا وَاسْمَعْ وَانْظُرْنَا لَكَانَ خَيْرًا لَّهُمْ وَاَقْوَمَۙ وَلٰكِنْ لَّعَنَهُمُ اللّٰهُ بِكُفْرِهِمْ فَلَا يُؤْمِنُوْنَ اِلَّا قَلِيْلًا ( النساء: ٤٦ )
Mina allatheena hadoo yuharrifoona alkalima 'an mawadi'ihi wayaqooloona sami'na wa'asayna waisma' ghayra musma'in wara'ina layyan bialsinatihim wata'nan fee alddeeni walaw annahum qaloo sami'na waata'na waisma' waonthurna lakana khayran lahum waaqwama walakin la'anahumu Allahu bikufrihim fala yuminoona illa qaleelan (an-Nisāʾ 4:46)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे लोग जो यहूदी बन गए, वे शब्दों को उनके स्थानों से दूसरी ओर फेर देते है और कहते हैं, 'समि'अना व 'असैना' (हमने सुना, लेकिन हम मानते नही); और 'इसम'अ ग़ै-र मुसम'इन' (सुनो हालाँकि तुम सुनने के योग्य नहीं हो और 'राइना' (हमारी ओर ध्यान दो) - यह वे अपनी ज़बानों को तोड़-मरोड़कर और दीन पर चोटें करते हुए कहते है। और यदि वे कहते, 'समिअ'ना व अ-त'अना' (हमने सुना और माना) और 'इसम'अ' (सुनो) और 'उनज़ुरना' (हमारी ओर निगाह करो) तो यह उनके लिए अच्छा और अधिक ठीक होता। किन्तु उनपर तो उनके इनकार के कारण अल्लाह की फिटकार पड़ी हुई है। फिर वे ईमान थोड़े ही लाते है
English Sahih:
Among the Jews are those who distort words from their [proper] places [i.e., usages] and say, "We hear and disobey" and "Hear but be not heard" and "Ra’ina," twisting their tongues and defaming the religion. And if they had said [instead], "We hear and obey" and "Wait for us [to understand]," it would have been better for them and more suitable. But Allah has cursed them for their disbelief, so they believe not, except for a few. ([4] An-Nisa : 46)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) यहूद से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बातों में उनके महल व मौक़े से हेर फेर डाल देते हैं और अपनी ज़बानों को मरोड़कर और दीन पर तानाज़नी की राह से तुमसे समेअना व असैना (हमने सुना और नाफ़रमानी की) और वसमअ गैरा मुसमइन (तुम मेरी सुनो ख़ुदा तुमको न सुनवाए) राअना मेरा ख्याल करो मेरे चरवाहे कहा करते हैं और अगर वह इसके बदले समेअना व अताअना (हमने सुना और माना) और इसमाआ (मेरी सुनो) और (राअना) के एवज़ उनजुरना (हमपर निगाह रख) कहते तो उनके हक़ में कहीं बेहतर होता और बिल्कुल सीधी बात थी मगर उनपर तो उनके कुफ़्र की वजह से ख़ुदा की फ़िटकार है