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فَكَيْفَ اِذَا جِئْنَا مِنْ كُلِّ اُمَّةٍۢ بِشَهِيْدٍ وَّجِئْنَا بِكَ عَلٰى هٰٓؤُلَاۤءِ شَهِيْدًاۗ  ( النساء: ٤١ )

So how (will it be)
فَكَيْفَ
फिर क्या हाल होगा
when
إِذَا
जब
We bring
جِئْنَا
लाऐंगे हम
from
مِن
हर उम्मत से
every
كُلِّ
हर उम्मत से
nation
أُمَّةٍۭ
हर उम्मत से
a witness
بِشَهِيدٍ
एक गवाह
and We bring
وَجِئْنَا
और लाऐंगे हम
you
بِكَ
आपको
against
عَلَىٰ
उन सब पर
these (people)
هَٰٓؤُلَآءِ
उन सब पर
(as) a witness
شَهِيدًا
गवाह

Fakayfa itha jina min kulli ommatin bishaheedin wajina bika 'ala haolai shaheedan (an-Nisāʾ 4:41)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर क्या हाल होगा जब हम प्रत्येक समुदाय में से एक गवाह लाएँगे और स्वयं तुम्हें इन लोगों के मुक़ाबले में गवाह बनाकर पेश करेंगे?

English Sahih:

So how [will it be] when We bring from every nation a witness and We bring you, [O Muhammad], against these [people] as a witness? ([4] An-Nisa : 41)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ख़ैर दुनिया में तो जो चाहे करें) भला उस वक्त क्या हाल होगा जब हम हर गिरोह के गवाह तलब करेंगे और (मोहम्मद) तुमको उन सब पर गवाह की हैसियत में तलब करेंगे