وَالَّذِيْنَ يُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ رِئَاۤءَ النَّاسِ وَلَا يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَلَا بِالْيَوْمِ الْاٰخِرِ ۗ وَمَنْ يَّكُنِ الشَّيْطٰنُ لَهٗ قَرِيْنًا فَسَاۤءَ قَرِيْنًا ( النساء: ٣٨ )
And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
spend
يُنفِقُونَ
ख़र्च करते है
their wealth
أَمْوَٰلَهُمْ
अपने मालों को
to be seen
رِئَآءَ
दिखाने के लिए
(by) the people
ٱلنَّاسِ
लोगों को
and not
وَلَا
और नहीं
they believe
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान रखते
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
and not
وَلَا
और ना
in the Day
بِٱلْيَوْمِ
आख़िरी दिन पर
the Last
ٱلْءَاخِرِۗ
आख़िरी दिन पर
and whoever
وَمَن
और जो कोई
has
يَكُنِ
हो
the Shaitaan
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान
for him
لَهُۥ
उसका
(as) companion -
قَرِينًا
साथी
then evil
فَسَآءَ
तो कितना बुरा है
(is he as) a companion
قَرِينًا
साथी
Waallatheena yunfiqoona amwalahum riaa alnnasi wala yuminoona biAllahi wala bialyawmi alakhiri waman yakuni alshshaytanu lahu qareenan fasaa qareenan (an-Nisāʾ 4:38)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे जो अपने माल लोगों को दिखाने के लिए ख़र्च करते है, न अल्लाह पर ईमान रखते है, न अन्तिम दिन पर, और जिस किसी का साथी शैतान हुआ, तो वह बहुत ही बुरा साथी है
English Sahih:
And [also] those who spend of their wealth to be seen by the people and believe not in Allah nor in the Last Day. And he to whom Satan is a companion – then evil is he as a companion. ([4] An-Nisa : 38)