۞ وَاعْبُدُوا اللّٰهَ وَلَا تُشْرِكُوْا بِهٖ شَيْـًٔا وَّبِالْوَالِدَيْنِ اِحْسَانًا وَّبِذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَالْجَارِ ذِى الْقُرْبٰى وَالْجَارِ الْجُنُبِ وَالصَّاحِبِ بِالْجَنْۢبِ وَابْنِ السَّبِيْلِۙ وَمَا مَلَكَتْ اَيْمَانُكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ مَنْ كَانَ مُخْتَالًا فَخُوْرًاۙ ( النساء: ٣٦ )
Wao'budoo Allaha wala tushrikoo bihi shayan wabialwalidayni ihsanan wabithee alqurba waalyatama waalmasakeeni waaljari thee alqurba waaljari aljunubi waalssahibi bialjanbi waibni alssabeeli wama malakat aymanukum inna Allaha la yuhibbu man kana mukhtalan fakhooran (an-Nisāʾ 4:36)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अल्लाह की बन्दगी करो और उसके साथ किसी को साझी न बनाओ और अच्छा व्यवहार करो माँ-बाप के साथ, नातेदारों, अनाथों और मुहताजों के साथ, नातेदार पड़ोसियों के साथ और अपरिचित पड़ोसियों के साथ और साथ रहनेवाले व्यक्ति के साथ और मुसाफ़िर के साथ और उनके साथ भी जो तुम्हारे क़ब्ज़े में हों। अल्लाह ऐसे व्यक्ति को पसन्द नहीं करता, जो इतराता और डींगें मारता हो
English Sahih:
Worship Allah and associate nothing with Him, and to parents do good, and to relatives, orphans, the needy, the near neighbor, the neighbor farther away, the companion at your side, the traveler, and those whom your right hands possess. Indeed, Allah does not like those who are self-deluding and boastful, ([4] An-Nisa : 36)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और ख़ुदा ही की इबादत करो और किसी को उसका शरीक न बनाओ और मॉ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों और रिश्तेदार पड़ोसियों और अजनबी पड़ोसियों और पहलू में बैठने वाले मुसाहिबों और पड़ोसियों और ज़र ख़रीद लौन्डी और गुलाम के साथ एहसान करो बेशक ख़ुदा अकड़ के चलने वालों और शेख़ीबाज़ों को दोस्त नहीं रखता