فَاَمَّا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا بِاللّٰهِ وَاعْتَصَمُوْا بِهٖ فَسَيُدْخِلُهُمْ فِيْ رَحْمَةٍ مِّنْهُ وَفَضْلٍۙ وَّيَهْدِيْهِمْ اِلَيْهِ صِرَاطًا مُّسْتَقِيْمًاۗ ( النساء: ١٧٥ )
So as for
فَأَمَّا
तो रहे
those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
believed
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
and held fast
وَٱعْتَصَمُوا۟
और उन्होंने मज़बूत पकड़ा
to Him
بِهِۦ
उसे
then He will admit them
فَسَيُدْخِلُهُمْ
तो अनक़रीब वो दाख़िल करेगा उन्हें
in
فِى
रहमत में
Mercy
رَحْمَةٍ
रहमत में
from Himself
مِّنْهُ
अपनी तरफ़ से
and Bounty
وَفَضْلٍ
और फ़ज़ल में
and will guide them
وَيَهْدِيهِمْ
और रहनुमाई करेगा उनकी
to Himself
إِلَيْهِ
अपनी तरफ़
(on) a way
صِرَٰطًا
रास्ते
straight
مُّسْتَقِيمًا
सीधे की
Faamma allatheena amanoo biAllahi wai'tasamoo bihi fasayudkhiluhum fee rahmatin minhu wafadlin wayahdeehim ilayhi siratan mustaqeeman (an-Nisāʾ 4:175)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तो रहे वे लोग जो अल्लाह पर ईमान लाए और उसे मज़बूती के साथ पकड़े रहे, उन्हें तो शीघ्र ही अपनी दयालुता और अपने उदार अनुग्रह के क्षेत्र में दाख़िल करेगा और उन्हें अपनी ओर का सीधा मार्ग दिया देगा
English Sahih:
So those who believe in Allah and hold fast to Him – He will admit them to mercy from Himself and bounty and guide them to Himself on a straight path. ([4] An-Nisa : 175)