لٰكِنِ الرَّاسِخُوْنَ فِى الْعِلْمِ مِنْهُمْ وَالْمُؤْمِنُوْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ وَمَآ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ وَالْمُقِيْمِيْنَ الصَّلٰوةَ وَالْمُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَالْمُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ اُولٰۤىِٕكَ سَنُؤْتِيْهِمْ اَجْرًا عَظِيْمًا ࣖ ( النساء: ١٦٢ )
Lakini alrrasikhoona fee al'ilmi minhum waalmuminoona yuminoona bima onzila ilayka wama onzila min qablika waalmuqeemeena alssalata waalmutoona alzzakata waalmuminoona biAllahi waalyawmi alakhiri olaika sanuteehim ajran 'atheeman (an-Nisāʾ 4:162)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
परन्तु उनमें से जो लोग ज्ञान में पक्के है और ईमानवाले हैं, वे उस पर ईमान रखते है जो तुम्हारी ओर उतारा गया है और जो तुमसे पहले उतारा गया था, और जो विशेष रूप से नमाज़ क़ायम करते है, ज़कात देते और अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते है। यही लोग है जिन्हें हम शीघ्र ही बड़ी प्रतिदान प्रदान करेंगे
English Sahih:
But those firm in knowledge among them and the believers believe in what has been revealed to you, [O Muhammad], and what was revealed before you. And the establishers of prayer [especially] and the givers of Zakah and the believers in Allah and the Last Day – those We will give a great reward. ([4] An-Nisa : 162)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
लेकिन (ऐ रसूल) उनमें से जो लोग इल्म (दीन) में बड़े मज़बूत पाए पर फ़ायज़ हैं वह और ईमान वाले तो जो (किताब) तुमपर नाज़िल हुई है (सब पर ईमान रखते हैं) और से नमाज़ पढ़ते हैं और ज़कात अदा करते हैं और ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत का यक़ीन रखते हैं ऐसे ही लोगों को हम अनक़रीब बहुत बड़ा अज्र अता फ़रमाएंगे