وَّاَخْذِهِمُ الرِّبٰوا وَقَدْ نُهُوْا عَنْهُ وَاَكْلِهِمْ اَمْوَالَ النَّاسِ بِالْبَاطِلِ ۗوَاَعْتَدْنَا لِلْكٰفِرِيْنَ مِنْهُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ( النساء: ١٦١ )
And for their taking
وَأَخْذِهِمُ
और (बवजह) उनके लेने के
(of) [the] usury
ٱلرِّبَوٰا۟
सूद को
while certainly
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
they were forbidden
نُهُوا۟
वो रोके गए थे
from it
عَنْهُ
उससे
and (for) their consuming
وَأَكْلِهِمْ
और (बवजह) उनके खाने के
wealth
أَمْوَٰلَ
माल
(of) the people
ٱلنَّاسِ
लोगों के
wrongfully
بِٱلْبَٰطِلِۚ
बातिल (तरीक़े) से
And We have prepared
وَأَعْتَدْنَا
और तैयार कर रखा है हमने
for the disbelievers
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
among them
مِنْهُمْ
उनमें से
a punishment
عَذَابًا
अज़ाब
painful
أَلِيمًا
दर्दनाक
Waakhthihimu alrriba waqad nuhoo 'anhu waaklihim amwala alnnasi bialbatili waa'tadna lilkafireena minhum 'athaban aleeman (an-Nisāʾ 4:161)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और उनके ब्याज लेने के कारण, जबकि उन्हें इससे रोका गया था। और उनके अवैध रूप से लोगों के माल खाने के कारण ऐसा किया गया और हमने उनमें से जिन लोगों ने इनकार किया उनके लिए दुखद यातना तैयार कर रखी है
English Sahih:
And [for] their taking of usury while they had been forbidden from it, and their consuming of the people's wealth unjustly. And We have prepared for the disbelievers among them a painful punishment. ([4] An-Nisa : 161)