فَبِمَا نَقْضِهِمْ مِّيْثَاقَهُمْ وَكُفْرِهِمْ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ وَقَتْلِهِمُ الْاَنْۢبِيَاۤءَ بِغَيْرِ حَقٍّ وَّقَوْلِهِمْ قُلُوْبُنَا غُلْفٌ ۗ بَلْ طَبَعَ اللّٰهُ عَلَيْهَا بِكُفْرِهِمْ فَلَا يُؤْمِنُوْنَ اِلَّا قَلِيْلًاۖ ( النساء: ١٥٥ )
Fabima naqdihim meethaqahum wakufrihim biayati Allahi waqatlihimu alanbiyaa bighayri haqqin waqawlihim quloobuna ghulfun bal taba'a Allahu 'alayha bikufrihim fala yuminoona illa qaleelan (an-Nisāʾ 4:155)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर उनके अपने वचन भंग करने और अल्लाह की आयतों का इनकार करने के कारण और नबियों को नाहक़ क़त्ल करने और उनके यह कहने के कारण कि 'हमारे हृदय आवरणों में सुरक्षित है' - नहीं, बल्कि वास्तव में उनके इनकार के कारण अल्लाह ने उनके दिलों पर ठप्पा लगा दिया है। तो ये ईमान थोड़े ही लाते है
English Sahih:
And [We cursed them] for their breaking of the covenant and their disbelief in the signs of Allah and their killing of the prophets without right and their saying, "Our hearts are wrapped" [i.e., sealed against reception]. Rather, Allah has sealed them because of their disbelief, so they believe not, except for a few. ([4] An-Nisa : 155)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
फिर उनके अपने एहद तोड़ डालने और एहकामे ख़ुदा से इन्कार करने और नाहक़ अम्बिया को क़त्ल करने और इतरा कर ये कहने की वजह से कि हमारे दिलों पर ग़िलाफ़ चढे हुए हैं (ये तो नहीं) बल्कि ख़ुदा ने उनके कुफ़्र की वजह से उनके दिलों पर मोहर कर दी है तो चन्द आदमियों के सिवा ये लोग ईमान नहीं लाते