اِنَّ الَّذِيْنَ يَكْفُرُوْنَ بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖ وَيُرِيْدُوْنَ اَنْ يُّفَرِّقُوْا بَيْنَ اللّٰهِ وَرُسُلِهٖ وَيَقُوْلُوْنَ نُؤْمِنُ بِبَعْضٍ وَّنَكْفُرُ بِبَعْضٍۙ وَّيُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّتَّخِذُوْا بَيْنَ ذٰلِكَ سَبِيْلًاۙ ( النساء: ١٥٠ )
Inna allatheena yakfuroona biAllahi warusulihi wayureedoona an yufarriqoo bayna Allahi warusulihi wayaqooloona numinu biba'din wanakfuru biba'din wayureedoona an yattakhithoo bayna thalika sabeelan (an-Nisāʾ 4:150)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो लोग अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार करते है और चाहते है कि अल्लाह और उसके रसूलों के बीच विच्छेद करें, और कहते है कि 'हम कुछ को मानते है और कुछ को नहीं मानते' और इस तरह वे चाहते है कि बीच की कोई राह अपनाएँ;
English Sahih:
Indeed, those who disbelieve in Allah and His messengers and wish to discriminate between Allah and His messengers and say, "We believe in some and disbelieve in others," and wish to adopt a way in between – ([4] An-Nisa : 150)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
बेशक जो लोग ख़ुदा और उसके रसूलों से इन्कार करते हैं और ख़ुदा और उसके रसूलों में तफ़रक़ा डालना चाहते हैं और कहते हैं कि हम बाज़ (पैग़म्बरों) पर ईमान लाए हैं और बाज़ का इन्कार करते हैं और चाहते हैं कि इस (कुफ़्र व ईमान) के दरमियान एक दूसरी राह निकलें