وَالّٰتِيْ يَأْتِيْنَ الْفَاحِشَةَ مِنْ نِّسَاۤىِٕكُمْ فَاسْتَشْهِدُوْا عَلَيْهِنَّ اَرْبَعَةً مِّنْكُمْ ۚ فَاِنْ شَهِدُوْا فَاَمْسِكُوْهُنَّ فِى الْبُيُوْتِ حَتّٰى يَتَوَفّٰىهُنَّ الْمَوْتُ اَوْ يَجْعَلَ اللّٰهُ لَهُنَّ سَبِيْلًا ( النساء: ١٥ )
Waallatee yateena alfahishata min nisaikum faistashhidoo 'alayhinna arba'atan minkum fain shahidoo faamsikoohunna fee albuyooti hatta yatawaffahunna almawtu aw yaj'ala Allahu lahunna sabeelan (an-Nisāʾ 4:15)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और तुम्हारी स्त्रियों में से जो व्यभिचार कर बैठे, उनपर अपने में से चार आदमियों की गवाही लो, फिर यदि वे गवाही दे दें तो उन्हें घरों में बन्द रखो, यहाँ तक कि उनकी मृत्यु आ जाए या अल्लाह उनके लिए कोई रास्ता निकाल दे
English Sahih:
Those who commit immorality [i.e., unlawful sexual intercourse] of your women – bring against them four [witnesses] from among you. And if they testify, confine them [i.e., the guilty women] to houses until death takes them or Allah ordains for them [another] way. ([4] An-Nisa : 15)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और वह उसमें हमेशा अपना किया भुगतता रहेगा और उसके लिए बड़ी रूसवाई का अज़ाब है और तुम्हारी औरतों में से जो औरतें बदकारी करें तो उनकी बदकारी पर अपने लोगों में से चार गवाही लो और फिर अगर चारों गवाह उसकी तसदीक़ करें तो (उसकी सज़ा ये है कि) उनको घरों में बन्द रखो यहॉ तक कि मौत आ जाए या ख़ुदा उनकी कोई (दूसरी) राह निकाले