مُّذَبْذَبِيْنَ بَيْنَ ذٰلِكَۖ لَآ اِلٰى هٰٓؤُلَاۤءِ وَلَآ اِلٰى هٰٓؤُلَاۤءِ ۗ وَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ سَبِيْلًا ( النساء: ١٤٣ )
Wavering
مُّذَبْذَبِينَ
मुतज़बज़ब हैं
between
بَيْنَ
दर्मियान
that
ذَٰلِكَ
उसके
not
لَآ
ना
to
إِلَىٰ
तरफ़
these
هَٰٓؤُلَآءِ
उन लोगों के
and not
وَلَآ
और ना
to
إِلَىٰ
तरफ़
those
هَٰٓؤُلَآءِۚ
उन लोगों के
And whoever
وَمَن
और जिसे
has been lead astray
يُضْلِلِ
भटका दे
(by) Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
then never
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
you will find
تَجِدَ
आप पाऐंगे
for him
لَهُۥ
उसके लिए
a way
سَبِيلًا
कोई रास्ता
Muthabthabeena bayna thalika la ila haolai wala ila haolai waman yudlili Allahu falan tajida lahu sabeelan (an-Nisāʾ 4:143)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इसी के बीच डाँवाडोल हो रहे है, न इन (ईमानवालों) की तरफ़ के है, न इन (इनकार करनेवालों) की तरफ़ के। जिसे अल्लाह भटका दे, उसके लिए तो तुम कोई राह नहीं पा सकते
English Sahih:
Wavering between them, [belonging] neither to these [i.e., the believers] nor to those [i.e., the disbelievers]. And whoever Allah sends astray – never will you find for him a way. ([4] An-Nisa : 143)