وَمَنْ يَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَيَتَعَدَّ حُدُوْدَهٗ يُدْخِلْهُ نَارًا خَالِدًا فِيْهَاۖ وَلَهٗ عَذَابٌ مُّهِيْنٌ ࣖ ( النساء: ١٤ )
And whoever
وَمَن
और जो कोई
disobeys
يَعْصِ
नाफ़रमानी करेगा
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह की
and His Messenger
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
and transgresses
وَيَتَعَدَّ
और वो तजावुज़ करेगा
His limits -
حُدُودَهُۥ
उसकी हुदूद से
He will admit him
يُدْخِلْهُ
वो दाख़िल करेगा उसे
(to) Fire
نَارًا
आग में
(will) abide forever
خَٰلِدًا
हमेशा रहने वाला है
in it
فِيهَا
उसमें
And for him
وَلَهُۥ
और उसके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
humiliating
مُّهِينٌ
ज़लील करने वाला
Waman ya'si Allaha warasoolahu wayata'adda hudoodahu yudkhilhu naran khalidan feeha walahu 'athabun muheenun (an-Nisāʾ 4:14)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
परन्तु जो अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करेगा और उसकी सीमाओं का उल्लंघन करेगा उसे अल्लाह आग में डालेगा, जिसमें वह सदैव रहेगा। और उसके लिए अपमानजनक यातना है
English Sahih:
And whoever disobeys Allah and His Messenger and transgresses His limits – He will put him into the Fire to abide eternally therein, and he will have a humiliating punishment. ([4] An-Nisa : 14)