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ۨالَّذِيْنَ يَتَّخِذُوْنَ الْكٰفِرِيْنَ اَوْلِيَاۤءَ مِنْ دُوْنِ الْمُؤْمِنِيْنَ ۗ اَيَبْتَغُوْنَ عِنْدَهُمُ الْعِزَّةَ فَاِنَّ الْعِزَّةَ لِلّٰهِ جَمِيْعًاۗ  ( النساء: ١٣٩ )

Those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
take
يَتَّخِذُونَ
बना लेते हैं
the disbelievers
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को
(as) allies
أَوْلِيَآءَ
दोस्त
(from)
مِن
सिवाय
instead of
دُونِ
सिवाय
the believers
ٱلْمُؤْمِنِينَۚ
मोमिनों के
Do they seek
أَيَبْتَغُونَ
क्या वो चाहते हैं
with them
عِندَهُمُ
पास उनके
the honor?
ٱلْعِزَّةَ
इज़्ज़त
But indeed
فَإِنَّ
तो बेशक
the honor
ٱلْعِزَّةَ
इज़्ज़त
(is) for Allah
لِلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
all
جَمِيعًا
सारी की सारी

Allatheena yattakhithoona alkafireena awliyaa min dooni almumineena ayabtaghoona 'indahumu al'izzata fainna al'izzata lillahi jamee'an (an-Nisāʾ 4:139)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो ईमानवालों को छोड़कर इनकार करनेवालों को अपना मित्र बनाते है। क्या उन्हें उनके पास प्रतिष्ठा की तलाश है? प्रतिष्ठा तो सारी की सारी अल्लाह ही के लिए है

English Sahih:

Those who take disbelievers as allies instead of the believers. Do they seek with them honor [through power]? But indeed, honor belongs to Allah entirely. ([4] An-Nisa : 139)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जो लोग मोमिनों को छोड़कर काफ़िरों को अपना सरपरस्त बनाते हैं क्या उनके पास इज्ज़त (व आबरू) की तलाश करते हैं इज्ज़त सारी बस ख़ुदा ही के लिए ख़ास है